एजाज़ पेंटर

अभी तुम इतने अच्छे दोस्त नहीं हुए
कि अँधेरे में तुम्हे फटा नोट ना पकड़ा सकूँ
बारिश भी हर बार हुई
और मैं हर बार हंसा गोविंदा वाली हंसी
फूट फूट कर
नंगे पैर, रेगिस्तान, ऊपर धुप
और क्या चाहिए जिन्दा रहने के लिए
शहर में शनिवार है
एजाज़ पेंटर से एक किलो "प्यार" ले आओ
कल दुकानें बंद रहेंगी
मैं शहद भरी कवितायेँ नहीं लिखता (अब)
अपना गुड साथ लेके आना

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