एनिमल 2023 रिव्यु

एनिमल, अपने नाम को सार्थक करती हुई फ़िल्म। 

सच में, हर इंसान जब पैदा होता है तो एक जानवर ही होता है। प्यार, माँ बाप, परिवार, समाज ओर शिक्षा उसे इंसान बनाती है। इनमे से कुछ  न मिले तो बुरा इंसान ओर कुछ भी न मिले तो वो जानवर बन जाता है। ये फ़िल्म यही सिखाती है।

बच्चे को इग्नोर करना इतना हिंशक होता है ये सिखाती है ये फ़िल्म। इस सच्चे जहर को पीना चाहते हो तो देखो। समय दो रिश्तों के बीच की चुप्पी को इतना खतरनाक बना देता है ये पचा सकते हो तो देखो।

अपने समय की फिल्मों से 10 कदम आगे, क्लासिक, बोल्ड, निडरता से कही गयी कहानी। बिना लाग लपेट के, बिना मुखोटा लगा, बिना किसी डर के प्लैन वनीला सिनेमा दिखानी की जिद। हैट्स ऑफ टू डायरेक्टर।

साइलेंट हिंसा क्या होती है ये इस मूवी से सीखो। जो हम सब करते है अपने बच्चों से, अपने माँ बाप से, अपने हर उस सख्श से जिसको हमसे कुछ उम्मीद है। ओर ये इग्नोरेंस आदमी को कैसा बना सकती है , सच मे हम सब ऐसे ही हैं कुछ कम कुछ ज्यादा। अनिल कपूर हैरान, क्रोधित होकर पत्नी पर चीखता है - "हमने एक क्रिमिनल पैदा किया है". लेकिन वो पैदा ऐसे नहीं हुआ होता है. वो बनाया है।

वो बच्चा डीसेंसेटाइज़ किया जाता है - माँ, पिता का इंतजार करते करते, उसके टाइम ओर प्यार को तरसते और कभी न पाते हुए, पैसा, अमीरी. पिता से पिटता है, जीजा जी से इनसल्ट, टीचर डंडे मारती है मामूली बात पर. रोंगटे खड़े करने वाला एक दृश्य है जहां टीनएजर बेटे रणविजय को बलबीर थप्पड़ें पर थप्पड़ें मारता है. 


स्ट्रांग ओपिनियन हर चीज को लेकर। ये जानवर हम ही बना रहे हैं, जाने अनजाने, ओर बाद में हम ही बोलते हैं कि बेकार है, illogical है, extream है। कभी सोचा है अकेलापन कितना एक्सट्रीम होता है,  अपनी बात न कह पाना कितना एक्सट्रीम होता है, चेहरे पे हंसी लाना जबकि अंदर दुखों का समंदर हो कितना illogical होता है। 

नही सोचा।