बड़ा आदमी

कभी कभी मुझे होता है संदेह

कि मै भी दूसरो की तरह

हूँ एक साधारण आदमी

तो इस संदेह को दूर

करने के लिए मैं

रख लेता हूँ किसी को नोकरी पर

2000 Rs महीना।

किसी को ऐसे डाँटता हूँ 

कि वह काँपने लगता है।

किसी की तरफ उंगली करके आर्डर देके,

किसी को सबके सामने डांट के

किसी को वेट करवा के

किसी का फ़ोन काट के

वेटर को, कस्टमर केअर को गुस्सा करके

बन जाता हूँ असाधारण।

पाल लेता हूँ कुत्ता

रास्ते में खाता हूं सेब

कितना आसान है

सभ्य बनना, बडा आदमी बनना, अमीर बनना।

किसी को दरवाजे के बाहर 

इतनी देर तक खड़ा रखता हूँ

कि वह अपमानित होकर 

चुपचाप चला जाता है।

रेड लाइट पे शीशा नीचे ही नही करता।

डिलीवरी वाले की तरफ बिना देखे

ले लेता हूँ सामान

ओर कर देता हूँ गेट बंद उसके मुंह पर

4 डिग्री टेम्प्रेचर पे करवाता हूँ

कार साफ

लगवाता हूँ पोछा

ओर बन जाता हूँ

बड़ा आदमी।