वो लड़का जो आदमी बन गया

 वो लड़का

जो दुनिया की नजर में

आदमी बन चुका है

असल में एक बच्चा है।

जो लोगों की भीड़ में,

मंडी में,

किराने की दुकान में,

मेडिकल स्टोर में,

सबसे ज़्यादा दिखता है

असल में सबसे ज़्यादा 

अकेला है।


उसकी ज़िंदगी नही है कोई शायरी 

जहाँ हर दर्द पे मिली तालियाँ 

वो है एक joke

जिसकी बात पे हंसते हैं सब

ओर

उसकी ज़िंदगी है

एक एक्सेल शीट 

जहाँ हर 30 तारीख

पकड़नी होती है मुश्किल

जो रोज चेक करता है

बैंक एकाउंट

ओर लड़ लेता है घर में

वीकेंड पर

ताकि मार्किट ना जाने पड़े

ताकि कम खर्च हो


वो जान चुका है

कि कैसे हो पूछने वाले लोग

कोन हो पूछने लगे हैं

और कैसे हो पूछने वाले हाथ

अक्सर linkedin देखने के बाद बढ़ते हैं


उसका फोन हर वक़्त हाथ में रहता है ओर wifi ओंन

पर फिर भी

कोई ऐसा sms नोटिफिकेशन नहीं 

जिसमें लिखा हो "ठीक हो?”

2 3 साल हो गए शायद

"कैसे हो?" लिखा व्हाट्सएप आये भी


उसने अब अरमानों को पिन नहीं करता वॉल पर

वो जाता है शॉपिंग करने

बस सब्जी मंडी

लाता है हरी भरी ताजी सब्जी

फल जैसे सेब केले अनार

ओर खाता है रोटी अचार

सपनो को करता है सेव

 फ़ोल्डर में 

“Pending after fee EMI and bills” नाम से

वो चुप है आज

पर

हंसता है तो चीख चीख कर

ताकि सबको सुनाई दे

की खुश है सब सही है

उसकी चुप्पी कोई कमजोरी नहीं 

वो बस जानता है

कि हर बात का इलाज

संभब नही

कोई अगर कंधे पर सिर नही रखवाता

कोई बात नही

खुद की पीठ थपथपा लेता है


अब वो आईने में मुस्कुराता नहीं

बस देखता है

बाल ज्यादा सफेद तो नही

ओर

चेहरा थका हुआ तो नहीं


उसे पता है

कि हर सुबह ‘गुड मॉर्निंग’ नहीं होती

बस बोलने के लिए बोल देता है

गुड मॉर्निंग

अपने बगल में बैठने वालों को

चाहे हो ना

कुछ सुबहें बस होती हैं.

स्कूल तक जाने

ऑफिस तक जाने

ओर वापस आने के लिए


उसने सीखा है 

कि अकेलापन कोई दुश्मन नहीं

दोस्त है


वो लड़का

अब किसी से शिकायत नहीं करता

बस हंस देता है

फुट फुट कर

ओर हँसते हँसते जब

आंखें हो जाती है लाल

तो धो लेता है मुँह

बोलकर की कितना पॉल्युशन है

गुड़गांव में

सैयारा, आपके तानो से जीतकर आगे बढ़ने वाली पिक्चर

क्या आपने कभी सोचा है कि फिल्म ‘सैयारा’ सुपरहिट या ब्लॉकबस्टर कैसे बन गई?

आप सबके तानो की वजह से , सबके मना करने की वजह से, आप जैसे 30+ 40+ ऐज ग्रुप जो अपने को ज्यादा mature समझ रहे हैं, इलीट क्लास समझ रहे हैं उनको आईना दिखाया है इसने

ये बस एक 15-25 ऐज ग्रुप वाली सोच की फेक 30+ वाली सोच से लड़ाई है जिसमे पहले वाला ग्रुप जीत गया है। 

पहला ग्रुप मतलब, शुद्ध , बिना मसाले वाला, बिना दिमाग, बिना जजमेंट वाला प्यार। चाहे कहानी हो , गाने हों या अभियन, सब कुछ प्यूर सब कुछ ओरिजिनल 

दूध जैसी सच्ची, नदी जैसा अविरल बहने वाली कहानी

जब रणबीर कपूर की ‘एनिमल’ हिट हुई थी, तब भी आप जैसे बहुत से लोग चौंके थे इतनी हिंसक, नायक के चरित्र में कई खामियां, इतना खून खराबा, फिर भी फिल्म सफल? 

क्योकि बिना लाग लपेट के प्लैन वनीला मूवी ऐसी ही बनती है

या एनिमल या फिर ये। बीच का कोई रास्ता नही।

अब वही सवाल ‘सैयारा’ को लेकर उठ रहा है। दरअसल, ये दोनों फिल्में आज की युवा पीढ़ी खासतौर पर जेन Z और मिलेनियल्स के दिमाग को बखूबी समझती हैं।

अब बात ‘सैयारा’ की करें, तो ट्रेलर ने ही बता दिया था कि यह फिल्म 20+ के दिलों को छूने वाली है। जो बस मूवी इसलिए देखने जाते हैं कि मूवी देखनी है। फिल्म का हीरो मीडिया में फैले पक्षपात के खिलाफ आवाज उठाता है 

पेड रिव्यूज से मूवी हिट करवाई जा रही है, शो हिट करवाये जा रहे हैं। nepotism की बात भी रखी गयी है। वहीं सच्ची समीक्षाएं चुपचाप किनारे खड़ी हैं। फिल्म में एक संवाद है, "तयशुदा सवालों पर इंटरव्यू करना अब अच्छा नहीं लगता", जो आज के टाइम का कड़वा सच उजागर करता है।

अहान पांडे जरूर फिल्मी बैकग्राउंड से आते हैं, लेकिन अनीत पड्डा का कोई ऐसा बैकग्राउंड नही है 20 22 साल की एक्ट्रेस है दोनों की एक्टिंग अच्छी है।

आज कल की जनरेशन गलत को गलत कहने की हिम्मत रखते हैं

 नायक सिगरेट पीने की कोशिश करता है, तो नायिका साफ मना करती है, और जब नायक गाली देता है, तो वह भाषा पर आपत्ति जताती है। वह रात में काम न करने की शर्त भी रखती है। यही चीज युवा दर्शकों को भा रही है। मुह पर बोलो साफ बोलो काम से काम रखो काम करो पैसा कमाओ बस।

कुछ लोग कह रहे हैं कि ‘सैयारा’ कोरियन फिल्म ‘A Moment to Remember’ की कॉपी है। मैंने वो फिल्म नहीं देखी, इसलिए तुलना करना उचित नहीं है ओर आज के टाइम में तो प्यार भी लोग कॉपी करके करते हैं, inspire होकर।

तो अगली बार जब आप ‘सैयारा’ या ऐसी किसी फिल्म को देखें, तो यह ज़रूर सोचें कि वह किसकी कहानी कह रही है। आपको पसंद नही आई तो इससे ये सिद्ध नही हो जाता कि फ्लॉप है या बेकार है। और मुझे पसंद आई इससे भी ये सिद्ध नही हो जाता है कि अच्छी है

जाओ देखने तो अपने पैसे, पद, ईगो, रुतबा, ओर झूठी इमेज को घर ऱखकर जाओ, यकीन मानो अच्छी लगेगी फिर। बच्चे बनकर जाओ देखने, वह बच्चा जिसको कुछ नही पता ।

शुद्ध रोमांस, एक दो सीन को छोड़कर पारिवारिक फ़िल्म मजबूरी, दर्द, प्यार  पैसा और कैरियर के बीच में फंसे लोगों की कहानी। 

लाइफ एडवाइस

 मेरी बेटी

कभी मत झाँकना

गहरे काले कुँए में

(काले दिल वाले लोगों के दिलों में भी, पर पता कैसे चलेगा?

मैं बता दूंगा

चल जाता है

उतर जाता है रंग

कुछ दिनों में)

कभी मत पहनना

काले कपड़े

ओर ऐसे भी की

असहज लगे ख़ुद को भी

ओर बहुत बारीक कपड़े भी

ओर दूर रहना

बिना वजह

गिफ्ट चॉकलेट ओर फूल

देने वाले लोगों से भी

हमेशा पूछना की क्यों

ओर जब वो कहे ऐसे ही

तो मत लेना

100 सवाल पूछना

तभी लेना जब कन्विंस कर पाए

जो पहली नजर में अच्छा लगे उससे भी

मेरी बेटी मत करना बात

जो पिज़्ज़ा

मैक्रोनी की बात करता हो

कॉफ़ी की बात करता हो

हाँ

रोटी और emi की बात 

ओर बोरिंग बात करने वाले से ही करना बात


जाना

पर उस ओर कभी मत जाना

जिधर खड़े हों

काले-काले कुत्ते

सुवर, सांप

ओर आ रही हो बदबू

(ओर मैं उस बदबू की बात नही कर रहा

जो सूंघने से आ जाती है)

लाल ओर सफेद फूल

हरा पत्ता

कभी मत तोड़ना

(किसी का देखा हुआ सपना भी

ओर ना सपने पे हंसने को बोल रहा)

और अगर तोड़ना तो ऐसे

कि पेड़ को बेल को ज़रा भी

न हो कष्ट

ओर पेड़ को बात देना की क्यों तोड़ा

ओर अगर वो कन्विंस हो जाये तभी तोड़ना

दिल भी तोड़ना तो बता कर

की क्यों तोड़ा

मेरी बेटी

रात को रोटी का टुकड़ा

जब भी तोड़ना

सब्जी में, दाल में भिगोने के लिए

तो पहले हाथ जोड़कर 

कर लेना याद उस आदमी को

जिसने सबसे पहले

बताया होगा कि यही खाना है

ओर उस औरत को भी जो

बना रही है पसीने में भीगकर रोटी

ओर उसको भी, जो भीगी हुई है

सुनकर बॉस की गालियाँ

(जो रोज पड़ने पर गालियां नही लगती)


मेरी बेटी

अगर कभी घर में लाल चींटियाँ

दिखाई पड़ें किचन में

तो भगाना मत उनको

तो समझना

बेइंतहा पैसा आने वाला है

चारों तरफ से


अगर कई-कई रातों तक

कभी ना आये नींद

तो मुझे जरूर बताना बात

ओर सो जाना

पर कभी ये मत सोचना की

बुरे दिन आने वाले हैं

ओर कोई नही है तुम्हारे साथ


मेरी बेटी

पहाड़ पर चढ़कर कभी मत गिरना

(पहाड़ मतलब? मतबल जब जेब भर जाएं, पेट भर जाए, ओर आदमी को आदमी समझना बंद कर दो)

और कभी गिर भी पड़ो

तो घास की तरह उठने के लिए

(घास मतलब? Down to earth)

हमेशा रहना रेडी

मेरी बेटी

कभी अकेले फंस जाना अगर अँधेरे में

अगर भूल जाना रास्ता

तो गूगल मैप पर नहीं

सिर्फ़ बहुत दूर से आनेवाली

कुत्तों के भोकने की आवाज़ पर

भरोसा करना ओर मुझे याद करना

स्कूल की छत से कूद मत जाना


मेरी बेटी

अगर होमवर्क ना हो

अगर एग्जाम की तैयारी ठीक से ना हो

अगर स्कूल में कोई परेसानी हो

तो बताना जरूर


और सबसे बड़ी बात मेरी बेटी

कि सुन चुकने के बाद

दिन भर सबकी कड़वी बातें

उन चुभने वाले शब्दों को

पोंछकर साफ़ कर देना


ताकि कल जब फिर से दिन निकले

सुबह हो

तो तुम्हारा मन

नया, 

धुला हुआ, खुशबूदार

स्वच्छ

ओर चमकता मिले

ओर चेहरे पर मुस्कान

इतनी प्यारी की

आस पास महक जाए खुश्बू

ओर खिल उठें फूल

जो बस इसी बात का कर रहे थे wait

ओर चाय जरूर पिलाना बनाकर मुझे

जब बड़ी हो जाना

पर इतनी बड़ी कभी ना होना

की मैं जब रोना चाहूँ गले लगकर तुम्हारे

तो मुझे लगानी पड़े सीढ़ी

लाइफ एडवाइस

मेरे दोस्त

कभी मत झाँकना

गहरे काले कुँए में

(काले दिल वाले लोगों के दिलों में भी, पर पता कैसे चलेगा?

मैं बता दूंगा

चल जाता है

उतर जाता है रंग

कुछ दिनों में)

कभी मत पहनना

काले कपड़े

ओर बहुत बारीक कपड़े भी

ओर दूर रहना

बिना वजह

गिफ्ट चॉकलेट ओर फूल

देने वाले लोगों से भी


जाना

पर उस ओर कभी मत जाना

जिधर खड़े हों

काले-काले कुत्ते

सुवर, सांप

ओर आ रही हो बदबू

(ओर मैं उस बदबू की बात नही कर रहा

जो सूंघने से आ जाती है)

लाल ओर सफेद फूल

हरा पत्ता

कभी मत तोड़ना

(किसी का देखा हुआ सपना भी

ओर ना सपने पे हंसने को बोल रहा)

और अगर तोड़ना तो ऐसे

कि पेड़ को बेल को ज़रा भी

न हो कष्ट

ओर पेड़ को बात देना की क्यों तोड़ा


रात को रोटी का टुकड़ा

जब भी तोड़ना

सब्जी में, दाल में भिगोने के लिए

तो पहले हाथ जोड़कर 

कर लेना याद उस आदमी को

जिसने सबसे पहले

बताया होगा कि यही खाना है

ओर उस औरत को भी जो

बना रही है पसीने में भीगकर रोटी

ओर उसको भी, जो भीगी हुई है

सुनकर बॉस की गालियाँ

(जो रोज पड़ने पर गालियां नही लगती)

और कर लेना याद

उसको जिसने अभी तक नही खाया खाना

तुम्हारी याद में नहीं

बल्कि इसलिए

क्योकि तुम्हारे बोले शब्द

उसके ह्रदय में चुभ रहे है

वही नार्मल से शब्द

जो ऐसे ही बोल दिए थे lightly

चाय पीते पीते की chatgpt 

से आसान हो जाता है

झूठी तारीफ़ करना।


अगर कभी घर में लाल चींटियाँ

दिखाई पड़ें किचन में

तो भगाना मत उनको

तो समझना

बेइंतहा पैसा आने वाला है

चारों तरफ से


अगर कई-कई रातों तक

कभी ना आये नींद

तो  passiflora incarnata

ले आना, या मंगा लेना

ओर सो जाना

पर कभी ये मत सोचना की

बुरे दिन आने वाले हैं


मेरे दोस्त

पहाड़ पर चढ़कर कभी मत गिरना

(पहाड़ मतलब? मतबल जब जेब भर जाएं, पेट भर जाए, ओर आदमी को आदमी समझना बंद कर दो)

और कभी गिर भी पड़ो

तो घास की तरह उठने के लिए

(घास मतलब? Down to earth)

हमेशा रहना रेडी


कभी अकेले फंस जाना अगर अँधेरे में

अगर भूल जाना रास्ता

तो गूगल मैप पर नहीं

सिर्फ़ बहुत दूर से आनेवाली

कुत्तों के भोकने की आवाज़ पर

भरोसा करना ओर मुझे याद करना


मेरे दोस्त

बुध को पार्टी में कभी मत जाना

और इतवार की रात को अच्छे से जल्दी सो जाना


और सबसे बड़ी बात मेरे दोस्त

कि सुन चुकने के बाद

दिन भर बॉस के ताने


उन चुभने वाले शब्दों को पोंछकर साफ़ कर देना


ताकि कल जब फिर से दिन निकले

सुबह हो

तो तुम्हारा मन

नया, 

धुला हुआ, खुशबूदार

स्वच्छ

ओर चमकता मिले

ओर चेहरे पर मुस्कान

इतनी प्यारी की

आस पास महक जाए खुश्बू

ओर खिल उठें फूल

जो बस इसी बात का कर रहे थे wait

ओर चाय जरूर पीना बनाकर सुबह