१४ फ़रवरी नही है मेरा प्यार

मेरा प्यार नही है इठलाती नदी
वो है गहरा सागर

वो अगरबत्ती का धुआ नही जिससे आती है खुशबू
वो है रसोई का धुआं जो रुलाता तो है पर जिसके बिना रहा नही जा सकता

वो गिफ्ट नही, वो वनिला की आइसक्रीम नही,
पिज्जा नही, बर्गर नही
हॉट काफी नही, चॉकलेट नही है वो
वो रोज रोज का I LOVE YOU नही,
वो है दाल रोटी चावल
वो है पानी ठंडा
वो है गर्म दूध
वो है पूरियां, आम का आचार है वो

वो आखिरी ५ मिनट का क्लाइमेक्स नही
वो है उससे पहले की २.५ घंटे की स्टोरी

वो गुलाब का फूल नही जो मुरझा जाए
वो है उसके अगल बगल निकले हुए कांटे
जो जिन्दा रहते है और साथ देते है पेड़ का मरते दम तक

वो २ पेज का ग्रीटिंग कार्ड नही
वो है एक किताब जिसके पन्ने बढ़ते जा रहे है रोज

वो एक प्यारी कविता नही जो सबको लगे अच्छी
वो है एक बोरिंग कहानी जिसे पढने के लिए चाहिए संयम

वो प्राइवेट की गद्देदार कुर्सी की तरह नही जिस पर पड़ जाए मंदी का असर
वो है टूटी हुई सरकारी कुर्सी जिसे नही सकता कोई हिला

१४ फ़रवरी नही है मेरा प्यार
वो है 365*24*60*60

4 comments:

डॉ .अनुराग said...

दिलचस्प !कहाँ थे भाई तुम ?

Ayush Vatsyayan said...

good..keep it up

Anonymous said...

Janab kaheta hai pyar me nindh wur jati hai,lekin app to pyar karte hua bhi magn hai,
Bahut accha likha hai appne,dua karte hai ki yeh baat wushko bhi samajh aajaay.

हरकीरत ' हीर' said...

वो एक प्यारी कविता नही जो सबको लगे अच्छी
वो है एक बोरिंग कहानी जिसे पढने के लिए चाहिए संयम

वो प्राइवेट की गद्देदार कुर्सी की तरह नही जिस पर पड़ जाए मंदी का असर
वो है टूटी हुई सरकारी कुर्सी जिसे नही सकता कोई हिला.....

acchi lagi aapki kavita kuch nya padhne ko mila....!!