तुम बिन

तुम बिन
अधूरी सारी बातें
सूनी रातें
इकहरे सपने
बेगाने लगते अपने
सरसों के खेत
भी लगे जैसे
रेगिस्तान की रेत
दिल जले रत्ती रत्ती
जैसे मोमबत्ती
एक ही दिल था
एक ही सपना
दिल भी टूटा
सपना भी
कोई कहता है
सपने देखना अच्छा होता है
मैंने सपना देखा
टूटे हुए सपनो के साथ जीना आसान है
टूटे हुए सपने के साथ जीना मुश्किल
अचानक टूटे दिल का दर्द
समय के साथ बढ़ता है

4 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बेहतरीन !

राम राम !

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर रचना है।

Pramendra Pratap Singh said...

आप 100 प्रतिशत अच्‍छे है और आपकी कविता भी
महाशक्ति

शोभित जैन said...

yaar aaj pahli baar tumhare blog par dastak di aur sari ki sari post ek saans mein padh dali, samajh mein nahi aaya ki kis-kis ki tarif mein kya kya likhu phir socha post ki tarif karne se badhiya hai source ki hi tariff kar duin....
bahut accha likhte ho....
sadhubaad aur swagat