मुझे वो कविता दोबारा क्यूँ लिखनी पड़ी ?

ये उन दिनों की बात है जब मै कवि बनने की कोशिश कर रहा था
२००६ की शर्दियों के दिन थे
पर पर्याप्त प्रोत्साहन(कमेंट्स) ना मिलने की वजह से एक प्रतिभा जन्म लेने से पहले ही मिट गई

http://prashantmalik.blogspot.com/2007/01/blog-post_4332.html

http://prashantmalik.blogspot.com/2007/03/blog-post.html

इन दोनों कविताओं पर एक भी कमेंट्स ना आने की वजह से मुझे अपना विचार बदलना पड़ा.
तब ब्लोगिंग इतनी लोकपिय्र नही थी तो जाहिर सी बात है की उस पर किसी का धयान नही गया
तो मैंने सोचा की उसको वहा से डिलीट करके दोबारा पोस्ट करता हूँ

पर लगता है मै जो कहना चाहता था वो कह नही पाया या फिर लोगों की समझ नही आया(उच्च कोटि के कवि के यही लक्षण हैं)

कविता ये थी

पेड के पास
नही उगती घास


उसी कड़ी में कुछ और पंक्तिया लिख रहा हूँ इस उम्मीद के साथ की समझ आ जाए नही तो आज से ये काम बंद।

उगेगी एक दिन
पेड़ के पास
हरी हरी घास
यही है आस
होगा एक दिन
प्रकाश
पूरा है विस्वाश
होने लगा है अहसास
उगेगी एक दिन
पेड़ के पास
हरी हरी घास

पेड़ = जन-जीवन
घास = शुख-शान्ति, हरयाली

उम्मीद है इसको पढ़कर आप मुझे सीरियस कवि मानने लगेंगे

7 comments:

संगीता पुरी said...

अच्छे विचार हैं आपके....कमेंट्स की चिन्ता न करें ...अपने को मजबूत बनाकर लिखते रहें... कामयाबी कभी न कभी तो मिलेगी ही। वैसे हिन्दी ब्लागर की संख्या में बढ़ोत्तरी होने से कुछ फायदा तो आपको मिलेगा।

Rahul Jaiswal said...

Don't woory be happy...Mujhe pata hai ki jald hi log aapki pratibha ko jarur samajh jayenge..........so aise hi likhte raho......

योगेन्द्र मौदगिल said...

माई डियर स्मार्ट लड़के
लगे रहो मुन्ना भाई की तरह
एक दिन उड़नतश्तरी हो जाऒगे
वैसे पालने में पांव नज़र आ रहे हैं
बधाई और शुभकामनाएं

अवाम said...

आप निराश न हो टिप्पणी मिले या न मिले कभी भी आस नहीं छोड़नी चाहिए. मुझे तो पूरा विश्वास है कि पेड़ के चरों ओर घास जरुर उगेगी.

ताऊ रामपुरिया said...

भाई प्रशांत तू भी समार्ट और थारी कविता भी समार्ट ! और भाई इब ताऊ आग्या सै, तो तेरी प्रतीभा नै खिलण तैं कुण रॉक सकै
सै ? म्हारी ब्लॉग लिस्ट म्ह तेरा नाम लिख लिया सै इब बेफिक्र होकै लिख ! अच्छा भाई इब राम राम !

भूतनाथ said...

पेड़ के पास
हरी हरी घास
यही है आस
होगा एक दिन
प्रकाश


बहुत लाजवाब कविता ! धन्यवाद !

Anonymous said...

bhai.कमेंट्स की चिन्ता mat kar....