कहानी पार्ट-2

१३८ साल पुरानी बात है. एक बार एक आदमी रेगिस्तान में भटक जाता है. उसे बहुत प्यास लगती है पर कही पानी नहीं मिलता. बहुत प्रयास करने पर भी जब उसे आशा की कोई किरण नही दिखाई देती तो वो थककर वही कर सो जाता है. रात में बहुत तेज तूफ़ान आता है और वो आदमी रेत में दब जाता है.
वहा उसकी दम घुटने से मौत हो जाती है. जंगली कुत्ते इंसानी रूह की smell से सूंघकर उसको बाहर निकाल लेते हैं तभी वहा से सपेरे गुजर रहे होते हैं. वो उसको रेत में दबा देख लेते हैं. और अपने कैंप में ले जाते हैं और जिन्दा कर लेते हैं. वो उससे उसकी बैंक अकाउंट डिटेल्स पूछकर उसको फिर से मार देते हैं.
मोरेल:
बैंक में पैसे नहीं रखने चाहिए बल्कि पैसो को घड़ो में भरकर जमीन में दाब देना चाहिए.

7 comments:

राज भाटिय़ा said...

एक छोटा सा घडा पेसो से भर कर मुझे भेज दे, मै उसे कही जरुर दबा दुंगा, पेसा खर्च करने के बाद

Gaurav Malik said...

कहानी पार्ट १

२४७ साल पहले कि बात है एक बर्फीले रेगिस्तान मे चारो तरफ पानी ही पानी भरा हुआ था |

ऐसा सुहाना मोसम देखकर आदमी को प्यास लग आई पर चारो तरफ बर्फीले रेगिस्तान का पानी देख कर वह घबरा गया उसे चारो तरफ आसा की किरणे ही किरणे दिखाई दी वह आदमी परेसान हो कर वहीँ सो गया | रात में बहुत तेज तूफ़ान आता है और वो आदमी उस बर्फीले रेत में दब जाता है |वहा उसकी दम घुटने से मौत हो जाती है. जंगली कुत्ते इंसानी रूह की smell से सूंघकर उसको बाहर निकाल लेते हैं तभी वहा से प्रशांत गुजर रहा होता हैं |वो उसको बर्फीले रेत में दबा देख लेता हैं. और अपने कैंप में ले जाता हैं और जिन्दा कर लेता हैं. वो उससे उसकी बैंक अकाउंट डिटेल्स पूछकर उसको फिर से मार देता हैं.
मोरेल:
पैसो को घड़ो में भरकर जमीन में दाब मत देना क्योंकि प्रशांत को पुराने स्कूल की पुरानी दीवारे खोदने का बहुत सोक है

Ayush Vatsyayan said...

प्रशांत को काम धाम तोह कुछ है न बस दीवारे ही खोधता रह है! Mis पे ध्यान दे ले, दीवारे बाद में खोद लिये

Unknown said...

Bhai shaadi-vaadi kar le......

Arpit Gupta said...

Gud ... Kaam jayada ho gaya hai aaj kal ... kuch break le le

Pawan Kumar said...

yaar prashant apni kuch nayi kavita hi post ker de...

Sakhi said...

Buhuhhahaha, tum mere dost ho mujhe apne saari savings de sakte ho. Main rakhungi hi nahi, sab kharch kar dungi, phir koi chinta nahi rahegi ;-)