बस

तेरे शहर जाने वाली बस के पीछे लिखा था-
"ओके टाटा फिर मिलेंगे"
मैंने पूछा कब?
पर वो बस थी
कैसे कहती की कभी नहीं।

7 comments:

pooja said...

good one.........
thanks for liking my blog....

हरकीरत ' हीर' said...

प्रशांत जी किधर गायब थे इतने दिन .....!?!

पर वो बस थी
कैसे कहती की कभी नहीं।

गजब....!!!!

Razi Shahab said...

good

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

bahut dukhi lagte hain, aisa kyun

adwet said...

bahut khoob. achha likha

ताऊ रामपुरिया said...

इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

:) :)