चोराहे पर

चोराहे पर
किसी का मिलना
और फिर ढूंढ़ना उसको उसी टाइम रोज
पता नही क्यूँ और सिर्फ़ ढूँढना उससे ज्यादा कुछ नही
--
सड़क पर
बारिश में
फ़ोन स्विच ऑफ़ करके
रात को
जाना दूर तक साथ साथ
और वापस आना अकेले पत्थरों में मारते हुए ठोकर
और देते हुए गाली स्ट्रीट लाइट के खम्बो को , सो रहे कुत्तों को
और कहना ख़ुद से की
कोई इतना पत्थर दिल कैसे हो सकता है
--
जेब में
रखना एक कागज का कुछ लिख के मिटाया हुआ टुकडा
और सिर्फ़ रखना
और कहना की वो समझती क्यूँ नही
या उसे दीखता क्यूँ नही
--
करना उससे hi हेल्लो जैसी बात
या hi हेल्लो से मिलती जुलती बात
वही की वही बात
--
कॉलेज में बनाना उसका assignment
और खुश होते रहना बिनामतलब
४ सालों तक
पर फिर भर देना उसकी slam बुक आखरी दिन
और लिख देना आख़िर में
keep in touch
---
रात को
3:40
पे देना
मिस कॉल
और सोचना
की सीने में जो दर्द जमा है
उसको डिटेक्ट करने की
कोई मशीन नही बनाई जाती क्या
पढ़े लिखे लोगो पर

9 comments:

rajkumari said...

क्या बात है ! बहुत nayab jankari !

rajkumari said...

क्या बात है !

राज भाटिय़ा said...

अरे भाई आप को तो लवेरिया हो गया है, इस का इलाज शायद किसी के पास नही , ओर जिस के पास है आप उसे कहते नही... वेसे यह बीमारी इस उम्र मै बहुत से लोगो को हो जाती है... फ़िर धीरे धीरे ठीक हो जाती है , वरना ..... गये काम से...
धन्यवाद

NEERAJ said...

accha likhte hi aap but kuch naya chaiye sabhi ko............

Sakhi. said...

:-) i can see you maturing thru ur posts. Very good keep it up. Ek din aapki awaaz "wahan tak" zaroor pahuchegi. Sahi jawaab aaye isli dua hum bhi aapke saath karte hain. God Bless.

Rahul Jaiswal said...

ye to pyar ke symptoms hai.......
aajkal kafi achha likhne lage ho aap......nice very nice....

pooja said...

bahut aachi tara se apni bhavnaye wayqt kari haa.........keep it up

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

dil mein badaa dard hai, aapki bahut sari nayi purani post ek saath padh rahi hun

Isha said...

Kya kahu :-)