मैंने पानी बोया और आग काटी
और फिर हम नमकीन पर्वत पर चढ़े (वहां नदी भी थी घटनाओं की)
ताकि गलत और बहुत गलत में अंतर साफ़ दिखाई दे
और कुछ समय कागजों में बंद किया जा सके
जब सर से लोहा रिसा तो केवल मैंने देखा
ग से गमले थे जिनमे फूल बताये गये।
कई से पुछा मैंने वो रास्ता और सब ने गलत बताया
पीछे दलदल था, और कंकर
आगे खुली हवा है और थोड़ी रौशनी(मेरे हिस्से की) ।
और फिर हम नमकीन पर्वत पर चढ़े (वहां नदी भी थी घटनाओं की)
ताकि गलत और बहुत गलत में अंतर साफ़ दिखाई दे
और कुछ समय कागजों में बंद किया जा सके
जब सर से लोहा रिसा तो केवल मैंने देखा
ग से गमले थे जिनमे फूल बताये गये।
कई से पुछा मैंने वो रास्ता और सब ने गलत बताया
पीछे दलदल था, और कंकर
आगे खुली हवा है और थोड़ी रौशनी(मेरे हिस्से की) ।
3 comments:
It was so funtastic that forced our figure to comment on it. Three cheers to Prashant Malik.
It was so funtastic that forced our figure to comment on it. Three cheers to Prashant Malik.
सुन्दर रचना के लिए बधाई
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