आज से ५ साल बाद

आज से ५ साल बाद
जब मिलोगी तुम मुझे
शोपिंग करते करते
गोल मार्केट में
या शर्मा मार्केट में
या हनुमान मन्दिर के सामने
या कही और
या किसी और शहर में (क्या फर्क पड़ता है )
अचानक
अपने बच्चे या बच्चों के साथ
और कहोगी कि
अरे! तुम यहाँ
what a surprise ?
कैसे?
तो तुम्हारे चेहरे की बनावटी हँसी
झूठ होगी
और झूठ होगा तुम्हारा ये कहना
कि अच्छा लगा तुमसे मिलकर
बिना एड्रेस दिए कहना कि
आना कभी घर
और फिर तुम्हे आ जाएगा
कुछ जरुरी काम याद
और फिर तुम चली जाओगी
बिना फ़ोन नम्बर दिए
मै फ़ोन नम्बर नही मांगूंगा
मांगना नही आता
पर फिर भी तुम कहोगी
फ़ोन अक्सर "उन्ही" के पास रहता है
और उन ५ मिनटों में
मै सोचूंगा ५ साल पुरानी बाते
आज की बातें
आज कल की बातें
अभी की बातें
और करने लगूंगा
मै भी फिर
थक हार कर
शौपिंग

8 comments:

विवेक सिंह said...

"बिना एड्रेस दिए कहना कि
आना कभी घर "
बेहतरीन अभिव्यक्ति ! दिल को छू गई !

Jimmy said...

bouth he aacha post kiyaa aapne

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Vijay Kumar said...

damm hai bhai .likhte raho.

हरकीरत ' हीर' said...

और फिर तुम्हे आ जाएगा
कुछ जरुरी काम याद
और फिर तुम चली जाओगी
बिना फ़ोन नम्बर दिए
मै फ़ोन नम्बर नही मांगूंगा
मांगना नही आता
पर फिर भी तुम कहोगी
फ़ोन अक्सर "उन्ही" के पास रहता है
और उन ५ मिनटों में
मै सोचूंगा ५ साल पुरानी बाते

Waah bhot khoob likha Prasant ji.....!

Ayush Vatsyayan said...

सच में बेहतरीन अभिव्यक्ति और एक बेहतरीन कविता!

Anonymous said...

Very Realistic lines.. "बिना एड्रेस दिए कहना कि आना कभी घर " Keep Writing..

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

Anonymous said...

i hv no word...... except.... ITZ AMAZING