फेसबुक के ग्रुप फ़ोटो पर आये लाइक की कच्ची खुशी

अनाज कमाने घरों से भागे हम
अशर्फियाँ पाकर भी वापस क्यूँ नही लौट पा रहे
ये कहो ना प्यार है वाले टाइम कि बात थी
रहने वाले अपने मकान और न रहने वाले दूसरे के मकान के बीच
80 किलोमीटर लम्बी GT रोड
और चार पांच नजरें ना मिला सकने वाले मोड़
फ्रिज भी कब तक हमें बासी होने से बचाएगा
जी सिनेमा वहाँ भी आता है
और धूम 3 भी
इन कमरों में, जिनकी छतें भी रोने के आकर की बनायीं गयी हैं
एक बाल्टी पानी, 2 घंटे जिन्दा बचे रहने का हौसला देता है


यहाँ कुँआ होता तो तकलीफ़ थोड़ी कम होती
फेसबुक के ग्रुप फ़ोटो पर आये लाइक की कच्ची खुशी
या दिव्या भारती की सुपरहिट पिक्चर
फ़ैसला हमारे हाथों में हैं


एजाज़ पेंटर

अभी तुम इतने अच्छे दोस्त नहीं हुए
कि अँधेरे में तुम्हे फटा नोट ना पकड़ा सकूँ
बारिश भी हर बार हुई
और मैं हर बार हंसा गोविंदा वाली हंसी
फूट फूट कर
नंगे पैर, रेगिस्तान, ऊपर धुप
और क्या चाहिए जिन्दा रहने के लिए
शहर में शनिवार है
एजाज़ पेंटर से एक किलो "प्यार" ले आओ
कल दुकानें बंद रहेंगी
मैं शहद भरी कवितायेँ नहीं लिखता (अब)
अपना गुड साथ लेके आना

मौसम नौवीं क्लास की लड़की जैसा था


मैंने नदी का हाथ पकड़ के जिंदगी को देखा
तुमने रेलवे स्टेशन पे बैठकर
नशा आँखों में था या बातों में
ठीक से याद नहीं
अंधेरा तेरे गाल के कुए जितना था
(जहाँ मैंने कपडे धोए अक्सर और पलकों पे सुखाये)
और मौसम नौवीं क्लास की लड़की जैसा
आगे याद नहीं या मैं बताना नहीं चाहता